कालभैरव - भगवान् शंकर के पूर्णावतार
देवराजसेव्यमानपावनाङ्घ्रिपङ्कजं व्यालयज्ञसूत्रमिन्दूशेखरं कृपाकरम् ।
नारदादियोगिवृन्दवन्दितं दिगम्बरं काशिकापुराधिनाथ-काल-भैरवं भजे ।।
देवराज इन्द्र जिनके पावन चरण-कमलों की भक्ति-पूर्वक निरन्तर सेवा करते हैं, जिनके व्याल-रुपी विकराल यज्ञ-सूत्र धारण करने वाले हैं, जिनके ललाट पर चन्द्रमा शोभायमान है, जो दिगम्बर-स्वरुप-धारी हैं, कृपा की मूर्ति हैं, नारदादि सिद्ध योगि-वृन्द जिनकी सेवा में लगे रहते हैं, उन काशी-पुरी के अभिरक्षक स्वामी कालभैरव की मैं चरण-वन्दना करता हूँ
भानुकोटिभास्वरं भवाब्धितारकं परं नीलकण्ठमीप्सितार्थदायकं त्रिलोचनम् ।
कालकालमम्बुजाक्षशूलमक्षरं काशिकापुराधिनाथ-काल-भैरवं भजे ।।
जो करोड़ों सूर्य के समान दीप्तिमान् हैं, जो भयावह भवसागर पार कराने वाले परम समर्थ प्रभु हैं, जो नीले कण्ठ वाले, अभीष्ट वस्तु को देने वाले और तीन नेत्रों वाले हैं, जो काल के भी काल, कमल के समान सुन्दर नयनों वाले, अक्षमाला और त्रिशूल धारण करने वाले अक्षर-पुरुष हैं, उन काशी-पुरी के अभिरक्षक स्वामी कालभैरव की मैं चरण-वन्दना करता हूँ ।
मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन मध्याह्न-काल में भगवान् काल-भैरव का अवतरण हुआ था । अतः इस दिन भैरव-जयंती मनाई जाएगी। इस दिन श्रद्धालु व्रत रखते हैं।इस दिन प्रत्येक प्रहर में काल भैरव और ईशान नाम के शिव की पूजा और अर्घ्य देने का विधान है । आधी रात के बाद काल भैरव की पूजा-अर्चना की जाती है। इसके बाद पूरी रात का जागरण किया जाता है।मान्यता है कि भगवान भैरव का वाहन कुत्ता है । इसलिए इस दिन कुत्ते (विशेषतया काले रंग का) की भी पूजा की जाती है ।इस व्रत की कथा का उल्लेख शिव पुराण में विस्तार से आया है। भैरव भगवान शिव के दूसरे रूप में माने गए हैं। मान्यता है कि इसी दिन दोपहर के समय शिव के प्रिय गण भैरवनाथ का जन्म हुआ था। कहा जाता है कि भैरव से काल भी भयभीत रहता है, इसलिए उन्हें कालभैरव भी कहते हैं। देश में भैरव जी के कई मंदिर हैं, जिनमें काशी स्थित कालभैरव मंदिर काफी प्रसिद्ध है।
भगवान भैरव पर दूध चढ़ाया जाता है, लेकिन किलकारी भैरव के विषय में मान्यता है कि वह शराब चढ़ाने पर प्रसन्न होते हैं। उज्जैन स्थित काल-भैरव मंदिर में श्रद्धालु भैरव जी को मदिरा अर्पित करते हैं। ऐसा मानते हैं कि यह व्रत गणेश, विष्णु, यम, चंद्रमा, कुबेर आदि ने भी किया था और इसी व्रत के प्रभाव से भगवान विष्णु लक्ष्मीपति बने, अप्सराओं को सौभाग्य मिला और कई राजा चक्रवर्ती बने। यह सभी कामनाओं की पूर्ति करने वाला व्रत कहा गया है।
भैरव जी के उपवास के लिए अष्टमी या चतुर्दशी युक्त रविवार और मंगलवार ग्राह्य माने गए हैं। ऐसी मान्यता है कि अष्टमी के दिन स्नान के बाद पितरों का श्राद्ध और तर्पण करने के बाद यदि कालभैरव की पूजा की जाए तो उपासक के साल भर के सारे विघ्न टल जाते हैं। मान्यता यह भी है कि महाकाल भैरव मंदिर में चढ़ाए गए काले धागे को गले या बाजू में बांधने से भूत-प्रेत और जादू-टोने का असर नहीं होता है।शिव-पुराण, शतरुद्र-संहिता, अध्याय ८ के अनुसार भगवान शंकर ने इसी अष्टमी को ब्रह्मा के अहंकार को नष्ट किया था, इसलिए यह दिन ‘भैरव-अष्टमी’ व्रत के रूप में मनाया जाने लगा।वाराणसी-पुरी की अष्ट दिशाओं में स्थापित अष्ट-भैरवों – रुरुभैरव, चण्डभैरव, असितांगभैरव, कपालभैरव, क्रोधभैरव, उन्मत्तभैरव तथा संहारभैरव का दर्शन-आराधन अभीष्ट फलप्रद है । रोली, सिन्दूर, रक्तचन्दन का चूर्ण, लाल फूल, गुड़, उड़द का बड़ा, धान का लावा, ईख का रस, तिल का तेल, लोहबान, लाल वस्त्र, भुना केला, सरसों का तेल – ये भैरवजी की प्रिय वस्तुएँ हैं ।प्रतिदिन भैरवजी की आठ बार प्रदक्षिणा करने से मनुष्यों के सर्वविध पाप विनष्ट हो जाते हैं ।
For Allaying Fear Of Foes, Accidents And Death
The name Bheirav is enough to invoke fear in an individual but the Lord is fearsome not for his Sadhak but for his enemies. For the Sadhak he is very kind and protects him always. Just as we have bodyguards who look fearsome and awe inspiring with their guns and other weapons, similarly Bheirav is a deity who wields awesome powers and protects one from dangers. We need not be afraid of our bodyguards, similarly a Sadhak should have no fear of the Lord. This Sadhana is very easy and simple, which any person, be it a man or a woman can try. Kaal Bheirav temple is there in the holy city of Ujjain and it is known as the temple of miracles. Many truly remarkable Tantra experiences are related to this shrine.
Benefits of this Kal Bhairav Sadhana
The Tantra texts describe it to be the best Sadhana for putting an end to enmities and rendering the foes unhostile.
If you fear your life because of some enemy or you fear that the enemy could harm your family or children then this Sadhana provides a divine shield against all attacks. The enemy loses his hostile attitude and stops giving trouble.
If you have fear of death, accident, fire, weapons or unnatural death then this Kaal Bheirav Sadhana is the best remedy. It can prevent even death.
Even women can try it for their own and their husbands' and children's safety.
The Kal Bhairav Sadhana
The night of Kaalaashtmi is the time for conquering even death. This is a very auspicious time that combines the blessings of both Lord Bheirav and Goddess Kaali. Start this Sadhana from eighth day of any fortnight of any Indian month.
For this wear a red or yellow Dhoti/Saree. Then sit on a red mat facing South. Before yourself place a steel plate and in it write || om bham bhairvay namah||
with vermilion (Kumkum). In the centre of the plate place the Siddha Kaal Bheirav Yantra and Mahaa-Mrityunjay Gutikaa. Also keep some iron nails ready. For example if there are seven members in your family then seven nails should be enough. Wrap the holy red thread (Mouli) around each iron nail. Keep chanting
Om Bham Bheiravaay Namah
while you do so. Then offer the nails one at a time on the Yantra each time speaking out the name of a family member. This ritual is for procuring divine protection for each family member. In this Sadhana the Stotra Mantra of Lord Bheirav is chanted. Chant the following Mantra 108 times.
Yam Yam Yam Yaksha Roopam Dash Dishi
Viditam Bhoomi Kampaayamaanam.
Sam Sam Sam Sanhaar Moortim Shir Mukut
Jataa Shekharam Chandra Bimbam.
Dam Dam Dam Deergha Kaayam Vikrit Nakh
Mukham Oordhvaroyam Karaalam.
Pam Pam Pam Paap Naasham Prannmat
Satatam Bheiravam Shetrapaalam.
Next take some black mustard seeds (Kaali Sarson) in your right fist and chant the following Mantra 11 times. Then move your hand three times around your head and wrap the seeds in a paper.
Om Kaal Bheirav, Shamshaan Bheirav, Kaal Roop Kaal Bheirav ! Mero Beiri Tero Aahaar Re.
Kaadi Karejaa Chakhan Karo Kat Kat.
Om Kaal Bheirav, Batuk Bheirav, Bhoot Bheirav, Mahaa Bheirav, Mahaa Bhaya Vinaashanam Devataa.
Sarva Siddhirbhavet.
Next chant the following Mantra for one hour.
Kaal Bheirav Mantra :
Om Bheiravaay Vam Vam Vam Hraam Shrom Namah.
This is only a single day Sadhana. After the chanting is over take the nails, the seeds, the Yantra and Gutika and go and throw them at some crossroad.
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